मध्यप्रदेश के निमाड़ अंचल में बेमौसम हुई बारिश और ओलावृष्टि के चलते फसल खराब होने के कारण, कर्ज के बोझ तले किसान मौत को गले लगा रहे है। खरगोन जिले में दो किसान ख़ुदकुशी कर चुके है , तो खंडवा जिले के दो किसानो ने कीटनाशक पीकर मौत को गले लगाना चाहा , जिसमे से एक किसान की जान बच गई।
31 मार्च 2015 खंडवा जिले के ग्राम सिंगोट निवासी कृषक रामशंकर पिता दयाराम तिरोले उम्र 42 वर्ष में खेत में कीटनाशक पीकर जान दे दी ।
ग्राम सिंगोट से दो लिकोमीटर दूर रामशंकर की सात एकड़ जमीन है , जिसमे रामशंकर ने मूंगफल्ली , गेंहू और तरबूज की फसल लगाई , जो मौसमी मार से खराब हो गई । एक तो उत्पादन कम हुआ, उसपर तीन लाख रुपयों का कर्ज और बेटी के ब्याह की चिंता। इसी कारण वह मानसिक तनाव में था , मृतक के भाई जगदीश ने बताया की मानसिक परेशानी के चलते रामशंकर , पिछले चार-पांच दिनों से शराब पी रहा था। बुधवार सुबह वह खेत में गया कीटनाशक पीने के बाद वहां पड़ी खटिया पर गिर गया , जिसे आस-पास के खेत के काम करने वालो ने देखा और पुलिस को सुचना दी। पुलिस को घटनास्थल पर किसान के पास से मोनोफास्ट नामक कीटनाशक मिला।
रामशंकर पर कुल तीन लाख रुपयों का कर्ज बकाया है। एक लाख पचास हजार रूपये "बैंक आफ इंडिया के क्राफ्ट लोन के अलावा मोटर साइकिल पर पचास हजार रूपये का कर्ज बकाया है । साहूकारी कर्ज बकाया है सो अलग।
इस मामले में जिला कलेक्टर महेश अग्रवाल का तर्क है की किसान ने तीन हिस्सों में फसल की बुआई की थी । चूँकि उस क्षेत्र में ओलावृष्टि नहीं हुई है , अतः यह कहना गलत है की , मौसम की मार से उसकी फसल खराब हुई है। उसने जो गेंहू लगाया था , उसका तीस क्विंटल गेंहू उसके घर में रखा हुआ है। पिछले सप्ताह तीस हजार रूपये में तरबूज की फसल बेच चुका है। किसान पर बैंक का देड लाख रुपया बकाया है , और बाइक का पचास हजार रुपया , लेकिन बैंक ने वसूली के लिए कोई नोटिस नहीं भेजा , ऐसे में किसान के परिजनों द्वारा लगाया यह आरोप गलत है की उसकी फसल खराब होने पर उसने जहर पीया।
27 March, 2015 जिला खरगोन- ग्राम बरुड़ निवासी कृषक मिथुन पिता गोपाल कोली ने शुक्रवार सुबह कीटनाशक पी लिया। मृतक के भाई दीपक कोली ने बताया बेमौसम बारिश और ओलावृष्टी से पांच एकड़ खेत में फसले चौपट हो गई थी। साथ ही मिथुन को बैंक का करीब डेढ़ लाख का कर्ज भी चुकता करना था, जिसे लेकर वो परेशान रहता था। दीपक ने बताया कि शुक्रवार सुबह मिथुन खेत में फसलों को पानी देने गया था, जिसके बाद दोपहर तक नही लौटने पर खेत में जाकर देखने पर उसे मृत अवस्था में पाया। किसान मिथुन के खेत में लगातार तीन वर्षों से ओलावृष्टी और बारिश से फसलों को नुकसान हो रहा था। जिससे खेत से कोई फायदा नही मिल रहा था। दीपक कोली ने बताया कि तीन वर्षों में फसलों की बोवनी के लिए लगातार खर्चा किया, लेकिन उपज से पर्याप्त दाम नही मिल पाया था।मृतक के भाई के अनुसार बैंक के कर्ज के अलावा किसान ने बाजार से भी कर्ज ले रखा था , जो बैंक के कर्ज सहित पांच लाख रूपये था।
बैंक से प्राप्त जानकारी के अनुसार मिथुन पर बैंक आफ इंडिया का कुल 1 लाख 52 हजार 346 रुपए का कर्ज था। बैंक शाखा प्रबंधक गौरीशंकर ने बताया कि इस कर्ज के लिए मिथुन को कभी कोई नोटिस जारी नही किया गया।
20 March, 2015 जिला खंडवा - फसलों के नुकसान और कर्ज से परेशान एक और किसान ने कीटनाशक पीकर जान देने कोशिश की।
बेमौसम बारिश-ओलावृष्टि से बर्बाद फसल और कर्ज चुकाने की चिंता में खंडवा के एक किसान ने जहर पीकर आत्महत्या करने की कोशिश की , जिसे जिला चिकित्सालय में उपचार हेतु भर्ती किया । पचास वर्षीय किसान फूलसिंह ने अपनी छह एकड़ जमीन पर गेंहू की फसल लगाई थी , जो बेमौसम बारिश से खराब हो गई , मात्र चार बोरा गेहूं की उपज हुई , पिछली बार तुंवर की फसल लगाई थी जो बर्बाद गई , उसके बाद सोयाबीन लगाया। यहां भी मौसम ने धोखा दे दिया, किसान पर करीब डेढ़ लाख का कर्ज है। यह सहकारी बैंक और साहूकारों का है।
हरसूद तहसील के ग्राम सड़ियापानी [पुलिस आबादी] में फूलसिंह की छह एकड़ जमीन है। इस पर खेती करके परिवार का गुजारा होता है। पहले सोयाबीन की फसल खराब हुई फिर गेंहू की। उसपर बारह हजार रूपये बिजली का बिल आ गया , समय पर कर्ज ना भरने पर पानी की मोटर भी जप्त हो गई। परिवार के तेरह सदस्यों के भरण-पोषण के लिए कुछ नहीं बचा , यहां तक की पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था करना कठिन है , अभी तो घर में खाने के लाले पड़े है , किसान के पुत्र का कहना है की उनके पिता ने फसल हेतु साहूकार से पांच प्रतिशत सैकड़े की ब्याज दर से जो देड लाख रूपये का कर्ज उठाया , उसे एक वर्ष बीत चुका है यह राशि बढ़कर दोगुनी हो चुकी है , इसके अलावा घर गहने भी गिरवी रखे हुए है। लेखराम ने बताया कि खरीफ में सोयाबीन की फसल खराब हो गई थी। इसके बाद गेहूं की फसल लगाई। यह भी बारिश में खराब हो गई। इस कारण पिता चिंतित थे। ऐसे में पापा ने जहर पी लिया।
इस मामले में जिला प्रशासन का कहना है की किसान ने अपनी फसल में जो चना बोया था । वह साढ़े तीन क्विंटल बेच चुका है। लगभग दो एकड़ में उसने गेंहू लगाया था उसमे आंशिक खराब हुआ है। जिसमे दस बोरी गेंहू उसके घर में रखा हुआ है। सोसायटी का सिर्फ दस हजार रुपया कर्ज किसान पर बाकी है। जिस इलाके में किसान की फसल लगी है। वहा ओलावृष्टि और अनावरी नहीं हुई। ऐसे में किसान के यह आरोप गलत है की उसकी फसल खराब होने पर उसने जहर पीया। जिला प्रशासन ने आश्वासन दिया है की मानवता के नाते किसान की यथा संभव मदद की जायेगी। .
14 March, 2015 जिला खरगोन- ग्राम बरुड़ निवासी बंशीलाल गुप्ता उम्र 50 वर्ष ने कीटनाशक पीकर जान दे दी । बंशीलाल के खेत में करीब छह एकड़ गेहूं-चने की फसल खराब हुई थी। बंशीलाल ने सुसाइड नोट में मानसिक रूप से परेशानी का उल्लेख किया था।खरगोन जिले के बरुड़ थाने के रहने वाले किसान बंशीलाल देवकरण गुप्ता ने किटनाशक दवाई पीकर आत्महत्या की । बंशीलाल की मौत और मिले सोसाइट नोट में उसने मानसिक परेशानी का जिक्र किया ।
ग्रामीण बताते है मृतक किसान लगातार फसले चौपट होने से बंशीलाल परेशान था । उस पर बैंक और बाजार का कर्ज भी बकाया था । पूर्व में कपास की फसल खराब हो चुकी थी और इस बार हुई बेमौसम बारिश
से उसकी गेहूँ की फसल भी खेत में आड़ी होकर खराब हो गई , जिससे वह व्यथित हो गया ओर उसने आत्महत्या का उठा लिया । वही परिजन में छोटा भाई पुलिस की कार्यवाही के चलते
कुछ कहने की स्थिति में नही है । पुलिस , मृतक को किसान ही मानने से इंकार कर पल्ला झड़ रही है ।जबकि किसान की रोमचिचली ग्राम में कृषि भूमि ही उसके जीवनयापन का एकमात्र सहारा थी ।किसान खुद की खेती के साथ मुनाफे पर दूसरे किसानो की जमीन पर भी बटाई से खेती करता था ।पुरे मामले में सोसाईट नोट में मानसिक तनाव की बात ने पुलिस की दुविधा बड़ा दी है ।ओर किसान की आत्महत्या ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है
खरगोन जिले में बीते साल कई किसानों ने कर्ज के बोझ तले आत्महत्या की और कदम बढाया। यह मुद्दा विधानसभा में भी उठा था। गौरतलब है कि बीते तीन वर्षों से लगातार खरीफ और रबी सीजन की फसलों पर ओलावृष्टी का प्रभाव हो रहा है। जिसके चलते किसान ,बैंको से लिया कर्ज नहीं चुका सके है , अकेले निमाड़ अंचल में विभिन्न निजी बैंकों और सोसायटियों के करीब ढाई लाख से अधिक कर्जदार है। पिछले दिनों निमाड़ अंचल में हुई घटनाओं पर निगाह डाले तो पाते है की पिछले एक माह की अवधि के दौरान कुल तीन किसानो ने जहर पीकर जा दे चुके है ,और एक किसान ने जहर पीकर जान देना चाहा , जिसे बचा लिया गया।