बदरा इतना क्यों तरसाते हो
प्रेमिका की तरह आते हो
और एक झलक दिखा कर चले जाते हो
तुम्हारे इन्तजार में आँखे तरसे
की बदरा अब बरसे की कब बरसे
बदरा इतना भी ना तरसाओ
अब तो आँशु भी सूखने लगे है
अमृत बून्द बनकर , बरस जाओ , बरस जाओ
अनंत माहेश्वरी
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