खंडवा में देवी भवानी कि प्रतिमा दिन के तीन अलग -अलग पहर में तीन अलग -अलग रूप में दर्शन देती है।
भगवान श्री राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले खंडवा कि माता भवानी से अस्त्र-शस्त्र वरदान में प्राप्त किये
भगवान श्री राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले खंडवा कि माता भवानी से अस्त्र-शस्त्र वरदान में प्राप्त किये
खंडवा , वह शहर है जिसका इतिहास में खाण्डवाहो के नाम से जिक्र किया गया है , किवदंती है कि रामायण में वर्णित खाण्डव वन के स्थान पर ही बसा है खंडवा। जहां स्व्यंभू भवानी माता का मंदिर है। इस मंदिर से यह कथा भी जुडी हुई है कि भगवान श्री राम ने खाण्डव वनो में वनवास के दौरान इसी मंदिर में माता भवानी कि आराधना कि और लंका पर चढ़ाई करने से पहले माता भवानी से अस्त्र-शस्त्र वरदान में प्राप्त किये थे , तो कुछ लोगो का मत है कि खांडव वनो में खर-दूषण का आतंक ख़त्म करने के लिए भगवान् राम ने माता भवानी से अस्त्र-शस्त्र वरदान में प्राप्त किये। खंडवा के इस चमत्कारी मंदिर कि विशेषता यह है कि यहाँ देवी कि प्रतिमा दिन के तीन अलग -अलग पहर में तीन अलग -अलग रूप में दर्शन देती है। याने हर तीन घंटे में देवी का स्वरुप बदल जाता है। पहले पहर में दर्शन करने वाले भक्त को माता बाल्य स्वरुप में दिखाई देती है। दूसरे पहर में माता का युवा रूप दर्शित होता है और तीसरे पहर में माता वृद्ध स्वरुप में दिखाई देती है।
भवानी माता मंदिर में प्रवेश करते ही दाहिने ओर गणेश प्रतिमा है , बायीं ओर अन्नपूर्णा देवी के पास ही लक्ष्मी नारायण के दर्शन होते है।तो देवी अन्नपूर्णा के सामने ही शीश कटे भैरव के दर्शन भी हो जाते है। लेकिन इस मंदिर कि सबसे खास बात है कि माता अन्नपूर्णा कि प्रतिमा के ठीक निचे तांत्रिक महत्व वाली चौसठ जोगिनी कि प्रतिमा एक ही शीला पर दिखाई देती है , जो इस मंदिर के शक्तिपीठ होने कि और इशारा करती है , यही नहीं इस मंदिर परिसर में दीप स्तंभ भी है जिस पर विशेष अवसरों पर एक सौ आठ दीप जलाये जाते है। यह दीप स्तम्भ माता प्रतिमा के सम्मुख है जिस पर शंखो कि सजावट कि गई है , दक्षिण भारत के शक्तिपीठ में इसी प्रकार के दीप स्थल मिलते है , यह दीप स्तम्भ भी इस मंदिर के पुरातन और धार्मिक महत्व को दर्शाता है।जीर्णोद्वार के बाद मंदिर को आधुनिक स्वरुप तो प्रदान कर दिया लेकिन मंदिर कि पवित्रता बरकरार रखने के उद्देश्य से इस मंदिर को शंख और कलश कि आकृति नुमा दीवार बनाई गई , यही नहीं पानी कि विशाल शंख स्वरुप में पानी कि टंकी बनाई गई।
कभी सिंधिया स्टेट कि मिल्कियत रहे , खंडवा के भवानी माता मंदिर कि छह पीढ़ियों से देखरेख कर रहे पंडित राजेन्द्र के अनुसार भवानी माता का यह मंदिर महाभारत और रामायण काल का साक्षी रहा है , जिसका जीर्णोद्वार किये जाने के बाद यह वर्मान स्वरुप में है। भवानी माता मंदिर कि नियत दिनचर्या के हिसाब से सेवा -आराधना कि जाती है , मंदिर में देवी कि प्रतिमा का दिन में दो बार श्रंगार किया जाता है।यहाँ वर्ष में दो बार विशेष पूजा कि जाती है जिसमे लाखो कि संख्या में भक्त आते है और अपनी मनचाही मुराद पूरी करते है
मंदिर के बाहर पूजा सामग्री बेचने वाले बताते है कि देवी के श्रंगार कि सामग्री चढ़ाने से भक्तो कि मनोकामना पूरी होती है , कुछ भक्त मनोकामना पूरी होने पर देवी को श्रंगार सामग्री भेंट के रूप में अर्पित करते है ,मंदिर में आने वाले भक्त भी मानते है कि मंदिर चमत्कारी है। भवानी माता अपने भक्तो कि हर मुराद पूरी करती है। कहते है कि माता के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं जाता। किसी कि मुराद पूरी होती है तो किसी को मुफ्त में भरपेट भोजन मिलता है पिछले चौबीस वर्षों से भवानी माता मंदिर परिसर में नि:शक्त जनो के लिए राम कृष्ण ट्रस्ट सेवा केंद्र , दानदाताओं के माध्यम से मुफ्त भोजन उपलब्ध करवा रहा है.
अनंत माहेश्वरी खंडवा
अनंत माहेश्वरी खंडवा
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