अनंत की कलम से ......
शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015
कविता- घनघोर घटाएं
घनघोर घटाएं
जमकर बरसो
बरस -बरस के इतना बरसो
की फिर ना बरसों बरसो।
अनंत माहेश्वरी
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