शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

कविता -पत्रकार है कहलाता

सिस्टम सुधारने की बात करता
दीवानगी की हदों को पार करता 
कलम से प्रहार करता 
पत्रकार है कहलाता 

असुरक्षित माहौल में  
खबर पाने की फ़िक्र में  
अपनी फ़िक्र  जो नहीं करता 
पत्रकार है कहलाता 

लक्ष्मी से वंचित वह रहता   
सरस्वती की पूजा करता 
बुद्धिजीवी वह कहलाता 
 
अभावग्रस्त जीवन वह जीता 
पत्रकार है कहलाता 

चौथा स्तम्भ की संज्ञा वह पाता 
सर्वनाम होकर रहजाता 
पत्रकार वह कहलाता 

अनंत माहेश्वरी खंडवा  
 

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