शनिवार, 14 फ़रवरी 2015

आगामी सिंहस्थ तक खंडवा-इंदौर बीच बिछी मीटरगेज रेल लाइन का ब्राडगेज में कन्वर्शन हो पायेगा या नहीं ?

इंदौर-खंडवा के बीच छोटी लाइन को बड़ी लाइन में बदलने का काम सिंहस्थ-2016 से पहले पूरा किये जाने के दावे किये जा रहे की , इंदौर-खंडवा के बीच छोटी लाइन को बड़ी लाइन में बदलने का काम सिंहस्थ-2016 से पहले पूरा कर दिया जाएगा। 2014 खत्म होने को है और काम के लिए सिर्फ एक वर्ष ही बचा है। ऐसे में मात्र एक-डेढ़ साल में खंडवा तक बड़ी लाइन बिछाने की बात किसी को गले नहीं उतर रही है । दरअसल, इस प्रोजेक्ट को लेकर पश्चिम रेलवे अभी शुरुआती तैयारियां भी मुकम्मल रूप से नहीं कर पाया है।

आगामी सिंहस्थ तक खंडवा-इंदौर बीच बिछी मीटरगेज रेल लाइन का ब्राडगेज में कन्वर्शन हो पायेगा या नहीं ? इसी सवाल के जवाब खोजती हमारी स्पेशल रिपोर्ट -
खंडवा -इंदौर मीटरगेज रेल लाइन पर विशेष अवसरों पर ओम्कारेश्वर तीर्थ स्थल तक पहुँचने के लिए यात्री अपनी जान जोखिम में डालकर सफर करते है। मीटरगेज से इंदौर-खंडवा के बीच मात्र 130 किलोमीटर की दुरी तय करने में लगभग पांच से छह घंटे का समय लगता है। आगामी सिंहस्थ को देखते हुए यह दावा किया जा रहा है की इंदौर-खंडवा के बीच छोटी लाइन को बड़ी लाइन में बदलने का काम सिंहस्थ-2016 से पहले पूरा कर दिया जाएगा। सिंहस्थ से पहले इंदौर-खंडवा गेज कन्वर्जन की मांग लगातार उठती रही है ,इस मामले में खंडवा जनमंच के मनोज सोनी सहित अन्य कार्यकर्ताओं ने रेल मंत्रालय के सामने इस मांग को अनेको बार रखा। जनमंच को रेल मंत्रालय सुचना के आधार पर मिली जानकारी के अनुसार फैक्ट इस प्रकार है।
फैक्ट -
1 -अजमेर से हैदराबाद को जोड़ने वाली 1470 किलोमीटर लम्बी मीटरगेज रेलवे लाइन का ब्राडगेज कन्वर्शन कार्य वर्ष 1993 में शुरू किया गया .
2 - अजमेर से रतलाम तक मीटरगेजका ब्राडगेज कन्वर्शन कार्य वर्ष 2004 में पूर्ण।
3- रतलाम से फतेहाबाद 80 किलोमीटर . फतेहाबाद से इंदौर 40 किलोमीटर तक मीटरगेज का ब्राडगेज कन्वर्शन भी हाल ही में पूर्ण हो चुका है।
4 - अकोला से हैदराबाद तक गेज कन्वर्शन का कार्य बर्ष 2007 में पूर्ण।
5 -अब सिर्फ इंदौर से खंडवा और खंडवा से अकोला तक कुल ब्राडगेज कन्वर्शन का कार्य 350 किलोमीटर बाकी। जिसमे से इंदौर से महू तक मीटरगेज का ब्राडगेज कन्वर्शन मार्च 2015 तक किया जाना प्रस्तावित।
17 जनवरी 2008 को केंद्रीय आर्थिक मामलो की कमेटी ने निर्णय लिया था की 1421 करोड़ रुपयों की लागत से वर्ष 2013 तक शेष 472 किलोमीटर रतलाम से अकोला तक का गेज कन्वर्शन किया जाएगा , जिसमे से मात्र 120 किलोमीटर रतलाम से इंदौर तक गेज कन्वर्शन कार्य पूर्ण हो सका। गेज कन्वर्शन को लेकर हालत यह है कि महू से खंडवा के बीच प्रोजेक्ट के लिए सबसे जटिल और चुनौतीपूर्ण हिस्से में बिछने वाली बड़ी लाइन का न तो अभी सर्वे पूरा हो पाया है, न लाइन का अलाइनमेंट तय है। सर्वे और अलाइनमेंट तय होने में भी कम से कम दो महीने का समय लगेगा, क्योंकि निर्माण शाखा का पूरा जोर फिलहाल फतेहाबाद-इंदौर बड़ी लाइन का काम पूरा कर इंदौर-महू के बीच बड़ी लाइन बिछाने पर है। इंदौर-महू के बीच 23 किलोमीटर लंबी लाइन बिछाने और महू यार्ड रिमॉडलिंग में ही आठ महीने लगने का अनुमान है। आधिकारिक सूत्र भी 2016 तक इंदौर-खंडवा के बीच बड़ी लाइन बिछाने की बात से इत्तफाक नहीं रखते। चोरल-मुख्तयारा बलवाड़ा के लिए बीच बनने वाली टनल से बचने के लिए भी अफसरों को सबसे मुफीद और फिजिबल रास्ता खोजना होगा , रेल अधिकारी के मुताबिक़ महू से खंडवा के बीच चार टनल है। रेलवे की वर्तमान पॉलिसी अनुसार अब रेल मार्ग के लिए टनल को अवॉइड किया जाता है। टनल से बचने के लिए, रेलवे ने तीन वैकल्पिक मार्ग चुने है , जिनमे से एक ऐसे मार्ग को फाइनल करना है जो मोस्ट टेक्निकल , मोस्ट एकनॉमिकल हो । ।फाइनल लोकेशन के सर्वे पश्चात भूमि अधिग्रहण की समस्या आएगी। रेलवे को प्राइवेट[ जनता ] भूमि , प्रदेश सरकार से भूमि और केंद्र सरकार के वन मंत्रालय से भूमि अधिग्रहित करना होगी। जिसमे समय लग सकता है। उसके बाद चोरल-मुख्तयारा बलवाड़ा के बीच नई लाइन के लिए वन और पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति मिलने में समय लग सकता है। यह सब आगामी सिंहस्थ तक संभव नहीं है। रेल सूत्रों के अनुसार वर्ष 2014 समाप्ति की ओर है। 2016 में सिहंस्थ होगा। कार्य के लिए सिर्फ एक वर्ष 2015 मिलेगा , मान लिया जाए , की इस गेज कन्वर्शन ले लिए पर्याप्त बजट मिल जाए , तब भी इस सिमित अवधि के काम नहीं हो सकता , क्योंकि भूमि अधिग्रहण होगी , जंगल कटेगा , इस्टीमेट बनेगे , फिर कांट्रेक्ट के लिए टेंडर निकलेंगे , जिनके फाइनल होने में समय लगेगा , जिससे यह बात तो साफ़ होती है की सिंहस्थ तक गेज कन्वर्शन नहीं हो सकता।
सिंहस्थ से पहले महू से सनावद तक के कठिन गेज कन्वर्शन को बाकी छोड़कर , इंदौर से महू तक कुल 23 किमी और खंडवा से सनावद तक कुल 60 किलोमीटर की छोटी लाइन को बड़ी लाइन में बदला जा सकता है। मगर वह भी तब जब रेल मंत्रालय प्रोजेक्ट के लिए भरपूर राशि दे। 80 किमी लंबे महू-सनावद सेक्शन में तो काम शुरू होने की फिलहाल कोई गुंजाइश ही नहीं है। अभी तो लक्ष्मीबाईनगर-इंदौर-महू के बीच बड़ी लाइन के लिए ही 65 करोड़ रुपए की स्वीकृृति नहीं मिल पा रही है और खंडवा-सनावद बड़ी लाइन का डीटेल इस्टिमेट (करीब 475 करोड़) को ही रेलवे बोर्ड से मंजूरी नहीं मिली है। कब बजट मंजूर होगा, कब काम चालू होकर पूरा होगा, यह खुद अफसरों को भी नहीं पता। सालाना बजट में प्रोजेक्ट के लिए करीब 90 करोड़ रुपए दिए गए थे, जिनमें से अधिकांश राशि खर्च हो चुकी है। पश्चिम रेलवे ने इंदौर-महू के बीच काम करने के लिए बोर्ड से 65 करोड़ रुपए का अतिरिक्त आवंटन मांगा है।
 अनंत माहेश्वरी खंडवा

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